Wednesday, March 14, 2007

रहीमदास...

रहीमदास जी भारत के एक जाने माने कवि हुए हैं। बहुत ही कम लोग ये जानते हैं कि वो जन्म से मुस्लिम थे, उसके बावजूद वे श्री कृष्ण के भक्त थे। उनका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। वो अकबर के संरक्षक बैरम खान के पुत्र थे। वो अकबर के दरबार मे नवरत्नों मे एक थे। उनको भक्तिकाल के कवियों मे सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। वो महान दानी भी थे। उन्होने लिखा था:

देनहार कोई और है, भेजत जो दिन रैन।
लोग भरम हम पर करे, तासो नीचे नैन।।

उनके दोहों मे भक्ती नीति लोक व्यवहार आदि का बड़ा सजीव चित्रण हुआ है। इनके तीन प्रसिद्ध ग्रंथ हैं- रहीम दोहावली, बरवै नायिका भेद और नगर शोभा। उनके कुछ दोहे इस प्रकार हैं:-

रहिमन देख बडेन को लघु ना दीजिए दार।
जहाँ काम आवे सुई कहा करे तलवार।।

जो रहीम उत्तम प्रकृति का करी सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापत नही लपटे रहत भुजंग।।

खीरा सिर ते काटिए मलियत नमक लगाए।
रहिमन करुये मुखन को चाहियत इहै सजाय।।

रहिमन धागा प्रेम को मत तोड़ो चट्काय।
टूटे से फिर ना मिलै, मिलै गाँठ पड़ जाय।।

3 comments:

Anonymous said...

waah baba waah.. tumhare blog se pyaar ho gaya hai mujhe.. aisi bakait cheezein post karte raho..
tum hindi kaise likhte ho.. blogger se? compare that with hindikalam.com..

Nishank said...

That facility is provided in blogger itself. I am already using hindikalam.com for quite some time now.
If you have started loving my blog, keep visiting it frequently. I would post similar articles as and when I get time. and yes, dont forget to leave your comments.

Nitin Mangal said...

abe baba tum to bade blogger nikale .. khoob jamega rang jab mil baithenge teen yaar, aap main aur blogger